शनिवार, 4 जून 2011

सूर्य और चन्द्र ग्रहण की कथा (झारखंडी लोककथा )

अभी कोई मेहमान दरवाजे पर घंटी बजा रिया है, बाद में टैप करता हूँ

सूरज चाँद और तारे (झारखंडी लोक कथा )

पुरखों का कहना है कि सूरज और चाँद आपस में पति-पत्नी हैं -- सूरज पति है और चाँद उसकी पत्नी। उन दोनों के बहुत से बची थे। लड़के लोग अपने पिता, सूरज के साथ और लड़कियां अपनी माता चाँद के साथ रहा करती थीं। सूरज और उसके लड़के दिन में इधर उधर घूमा-फिरा करते थे जब कि चाँद और उसकी लडकियां रात में बाहर निकला करती थीं।
परन्तु, सूरज और चाँद के बच्चे बहुत उपद्रवी थे, वे पृथ्वी के लोगों को बहुत सताया करते थे। लड़के लोगों को अपने ताप से व्याकुल कर दिया करते थे। उसी तरह लडकियां लोगों को ठण्ड से ठिठुरा दिया करती थीं। ऐसे में एक बार प्रीथ्वी के लोग सूरज और चाँद के पास गए और उन दोनों से बोले "तुम दोनों अपने बच्चों को दांतों
(शेष कल के पोस्ट में )........